मोदी जी कुछ करते क्यों नहीं यार? (Modi Ji kuch karte kyun nhi yaar)
इस कविता को पढ़ने से पहले मैं आप को बताना चाहूंगा के यह कविता दो दोस्तों (पत्रों) के बात-चित को बयान करता है, वो दो दोस्त है मेरा दिल और मेरा दिमाग़। इसमें जो पात्र बोल रहा है वो है मेरा दिल और जो पात्र सुन रहा है वो है दिमाग़। इसमें “यार” शब्द मोदी जी के लिए नहीं इस्तेमाल हुआ है तो कृप्या ऑफेंड ना हों। इसमें दिल ने अपने दोस्त दिमाग़ को यार बोला हैं। ये कविता मैंने २२ फ़रवरी २०२१ को लिखी है। इस कविता मैं जो कुछ भी लिखा है वह सब फैक्ट पर आधारित है। कृप्या इस कविता को कविता की तरह ही लें।
मोदी जी कुछ करते क्यों नहीं यार?
बहुत हुई जनता पर पेट्रोल-डीज़ल की मार।
अब की बार मोदी सरकार।
यही तो कहा था उन्होंने यार।
फ़िर अब क्यों बढ़ रहा है पेट्रोल-डीज़ल का दाम छप्पर फार?
अभी तो उन्हीं की है सरकार।
फ़िर क्यों पहुँच गया पेट्रोल सौ के पार?
क्यों जनता पर है ये भरी मार?
क्यों आम आदमी को कर दिया इतना लाचार?
क्यों युवाओं को नहीं मिल रहा रोज़गार?
क्यों किसान खड़े हैं दिल्ली बोडॅर के पार?
क्यों विरोधियों पर हो रहा है अत्याचार?
क्यों पत्रकारों को जाना पर रहा है तेहार?
क्यों कोरोना से पहले ही हो रहा था जी०डी०पी० का बंटाधार?
क्यों प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भी हम गिरते जा रहे है यार?
क्यों हमारे सैनिक सहिद हो रहे हैं बार-बार?
क्या इन सब में भी है नेहरू ज़िम्मेदार?
मोदी जी कुछ करते क्यों नहीं यार?
मोदी जी कुछ करते क्यों नहीं यार?
